रे मन प्रति स्वाँस पुकार यही भजन लिरिक्स | Re Man Prati Swash Pukar Yahi Bhajan Lyrics

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रे मन प्रति स्वाँस पुकार यही भजन लिरिक्स

रे मन प्रति स्वाँस पुकार यही भजन लिरिक्स, Re Man Prati Swash Pukar Yahi Bhajan Lyrics

।। दोहा ।।
राम भरोसो राम बल , राम नाम बिस्वास।
सुमिरत सुभ मंगल कुसल, माँगत तुलसीदास॥


~ मन प्रति स्वास पुकार यही ~

रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे।
तन नौका की पतवार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे।


जग में व्यापक आधार यही ,
जग में लेता अवतार वही।
है निराकार साकार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..


ध्रुव को ध्रुव दातार यही ,
प्रह्लाद गले का हार यही।
नारद विणा का तार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..


सब सुकृतो का आगार यही ,
गंगा यमुना की धार यही।
श्री रामेश्वर हरिद्वार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..


सज्जन का साहूकार यही ,
प्रेमी जन का व्यापर यही।
सुख विन्दु सुधा का सार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,
जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..


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~ Re Man Prati Swash Pukar Yahi ~

Re man prati swas pukar yahi ,
jay ram hare ghanshyam hare.
tan noka ki patvar yahi,
jay ram hare ghanshyam hare.


jag me vyapak aadhar yahi,
jag me leta avtar vahi.
hai nirakar sakar yahi ,
jay ram hare ghanshyam hare.
Re man prati swas pukar yahi ,
jay ram hare ghanshyam hare.


dhruv ko dhruv datar yahi,
prahlad gale ka haar yahi.
naarad vina ka taar yahi,
jay ram hare ghanshyam hare.
Re man prati swas pukar yahi ,
jay ram hare ghanshyam hare.


sab sukrito ka aagar yahi,
ganga yamuna ki dhar yahi.
shri rameshwar haridwar yahi,
jay ram hare ghanshyam hare.
Re man prati swas pukar yahi ,
jay ram hare ghanshyam hare.


sajjan ka sahukar yahi,
premi jan ka vyapar yahi.
sukh vindu sudha ka saar yahi,
jay ram hare ghanshyam hare.
Re man prati swas pukar yahi ,
jay ram hare ghanshyam hare.


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~ रे मन प्रति स्वाँस पुकार यही ~

रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे।
तन नौका की पतवार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे।

जग में व्यापक आधार यही ,जग में लेता अवतार वही।
है निराकार साकार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..

ध्रुव को ध्रुव दातार यही ,प्रह्लाद गले का हार यही।
नारद विणा का तार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..

सब सुकृतो का आगार यही ,गंगा यमुना की धार यही।
श्री रामेश्वर हरिद्वार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..

सज्जन का साहूकार यही ,प्रेमी जन का व्यापर यही।
सुख विन्दु सुधा का सार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे।
रे मन प्रति स्वास पुकार यही ,जय राम हरे घनश्याम हरे। टेर। ..

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भजन :- रे मन प्रति स्वास पुकार यही
गायिका :- unknown
लेबल :- राजस्थानी भजन लिरिक्स

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