राजा मोरध्वज की कथा लिरिक्स | raja mordhwaj ki katha Lyrics

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राजा मोरध्वज की कथा लिरिक्स

राजा मोरध्वज की कथा लिरिक्स, raja mordhwaj ki katha Lyrics, ram niwas rao bhajan

।। दोहा ।।
जो कुछ लिखा लिलाट पर, मेट सके ना कोय।
कोटि यतन करते फिरो, तो अनहोनी ना होय।


~ राजा मोरध्वज की महिमा ~

सिंवरू शारद मात,
निवण कर गुरु मनावु।
नर नारी उपदेश,
गजानन तुमको ध्यावु।
मोरधज महिमा कहु रे ,
सुणो सकल नर नार।
मोरधज महिमा सुण्या सु ,
पाप दूर होई जाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा।


राजा बीसल राव के,
लोवा नगर केवावे।
जिण रे कन्या सात ,
एक रो वर नहीं पावे।
राजा मन चिंता भई रे ,
पुत्र न दिनो एक।
कोण कर्म कन्या तणा ,
लिख्या कठे है लेख ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


पूछे मायर बाप ,
जनम रा बंधू भाई।
भाग कीणे रो खाय ,
राव बीसल री जाई।
बार बार तुझको केवा रे ,
सुण ले पदम् कंवार।
पदमा बीसल राव री ,
तू भाग कीणे रो खाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


राज तेज बड़ रीत ,
जोग भगवत रे सारे।
नहीं है म्हारा भाग ,
पिताजी थारे लारे।
जो रेखा मस्तक लिखी रे ,
लिख दिनी किरतार।
पदमा बीसल राव री ,
आ तो भाग आपरो खाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


।। दोहा ।।
पंगाज खोड़ो मोर नगर में, चुण चुगे नित आय।
दरवाजा में बैठता, वो विपरा पकड्यो जाय।


पकड़ ले गया मोर ,
राव ने बात सुनाई।
चोखी ढली सब रात ,
एक ने नींद न आई।
इन बाई रे कारणे रे ,
कुण भटकन ने जाय।
राजन मुख सु यु कयो ,
अब देवो मोर परणाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


बनी बाई री जोड़ ,
हथेल्या चुण चुगावें।
भव भव रा भरतार ,
चुण चुगण ने आवे।
लिख्या विधाता लेख ,
रती नहीं खाली जावे।
सारो नगर सरावियो रे ,
आयो सभा ने दाय।
राजा मुख सु यु कयो ,
अब जावो मोरिया रे लार ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


कोई बोली बोली पदम् कंवार ,
पिता सुण अरज हमारी।
पिता क्या मांगू कर आस ,
नीच है बुद्धि रे तुम्हारी।
पक्षी पिता परणाय के रे ,
क्या देवे मोहे दान।
पक्षी जोण मो कु भरी ,
म्हाने करी करी मोरिया रे लार।
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


काला करावो वेश ,
काला दो बेल जुतावो।
नहीं कोई संग में जाय ,
नहीं कोई मारग बतावो।
पदमा बैठी बेल में रे ,
लियो मोर ने पास।
मात पिता मन खेंचियो ,
अब छोड़ी पीवर री आस ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


उड़िया सांरंग जिव ,
मोर जंगल में जावे।
बैठा तरवर आय ,
पाप नहीं पले लगावे।
इण नगरी में पाणी पिऊ नहीं ,
चुगो करू अठे नाय।
में पंछी जंगल में राजी ,
बैठा तरवर आय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


पवन चले परचंड ,
पेड़ रो टुटो डालो।
पड्यो मोर रे शीश ,
मोर कियो कुकारो।
पंजा पंख चाले नहीं रे ,
गर्दन दिनी ढेर।
पलके सु पदमा गई ,
करी पलक न देर ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


हे कुरजा ,
म्हारी बेनड़ी।
है झूरे रे बेटी आय ,
पदमा रुदन करे।
हे मोर, पति ने कद देख सु।
है करि रे काळजिया री कोर ,
पदमा रुदन करे।
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,
भगत री साँची महिमा। टेर। …..


जरूर देखे :- जिवडा ! अमल कालजे लागो

जरूर देखे :- टाबरियो ने टूंगे ही मारे

मोरध्वज राजा री महिमा रामनिवास राव

~ राजा मोरध्वज की कथा ~

सिंवरू शारद मात,निवण कर गुरु मनावु।
नर नारी उपदेश,गजानन तुमको ध्यावु।
मोरधज महिमा कहु रे ,सुणो सकल नर नार।
मोरधज महिमा सुण्या सु ,पाप दूर होई जाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा।

राजा बीसल राव के,लोवा नगर केवावे।
जिण रे कन्या सात ,एक रो वर नहीं पावे।
राजा मन चिंता भई रे ,पुत्र न दिनो एक।
कोण कर्म कन्या तणा ,लिख्या कठे है लेख ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

पूछे मायर बाप ,जनम रा बंधू भाई।
भाग कीणे रो खाय ,राव बीसल री जाई।
बार बार तुझको केवा रे ,सुण ले पदम् कंवार।
पदमा बीसल राव री ,तू भाग कीणे रो खाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

राज तेज बड़ रीत ,जोग भगवत रे सारे।
नहीं है म्हारा भाग ,पिताजी थारे लारे।
जो रेखा मस्तक लिखी रे ,लिख दिनी किरतार।
पदमा बीसल राव री ,आ तो भाग आपरो खाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

।। दोहा ।।
पंगाज खोड़ो मोर नगर में, चुण चुगे नित आय।
दरवाजा में बैठता, वो विपरा पकड्यो जाय।

पकड़ ले गया मोर ,राव ने बात सुनाई।
चोखी ढली सब रात ,एक ने नींद न आई।
इन बाई रे कारणे रे ,कुण भटकन ने जाय।
राजन मुख सु यु कयो ,अब देवो मोर परणाय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

बनी बाई री जोड़ ,हथेल्या चुण चुगावें।
भव भव रा भरतार ,चुण चुगण ने आवे।
लिख्या विधाता लेख ,रती नहीं खाली जावे।
सारो नगर सरावियो रे ,आयो सभा ने दाय।
राजा मुख सु यु कयो ,अब जावो मोरिया रे लार ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

कोई बोली बोली पदम् कंवार ,पिता सुण अरज हमारी।
पिता क्या मांगू कर आस ,नीच है बुद्धि रे तुम्हारी।
पक्षी पिता परणाय के रे ,क्या देवे मोहे दान।
पक्षी जोण मो कु भरी ,म्हाने करी करी मोरिया रे लार।
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

काला करावो वेश ,काला दो बेल जुतावो।
नहीं कोई संग में जाय ,नहीं कोई मारग बतावो।
पदमा बैठी बेल में रे ,लियो मोर ने पास।
मात पिता मन खेंचियो ,अब छोड़ी पीवर री आस ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

उड़िया सांरंग जिव ,मोर जंगल में जावे।
बैठा तरवर आय ,पाप नहीं पले लगावे।
इण नगरी में पाणी पिऊ नहीं ,चुगो करू अठे नाय।
में पंछी जंगल में राजी ,बैठा तरवर आय ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

पवन चले परचंड ,पेड़ रो टुटो डालो।
पड्यो मोर रे शीश ,मोर कियो कुकारो।
पंजा पंख चाले नहीं रे ,गर्दन दिनी ढेर।
पलके सु पदमा गई ,करी पलक न देर ,
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

हे कुरजा ,म्हारी बेनड़ी।
है झूरे रे बेटी आय ,पदमा रुदन करे।
हे मोर, पति ने कद देख सु।
है करि रे काळजिया री कोर ,पदमा रुदन करे।
मोर राजा री महिमा।
सुणो सभा चित लाय ,भगत री साँची महिमा। टेर। …..

ram niwas rao bhajan

भजन :- राजा मोरध्वज की महिमा
गायक :- रामनिवास राव
लेबल :- राजस्थानी भजन

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