रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता भजन लिरिक्स
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता भजन लिरिक्स, Ami Ras Kyu Nahi Chakhta desi chetawani bhajan lyrics
।। दोहा ।।
आग लगी आसमान में, झुरझुर पड़े अंगार।
संत ना होता इस जगत में, तो जळ जातो संसार।
~ अमी रस क्यों नहीं चखता ~
साधु हुआ पाखण्ड नहीं छूटा ,
झोली ने डंडा रखता।
दर्पण में देखे साफों बांधे ,
क्या दीदार ने निरखता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
जे तू अमिरस पीवे नी जोणे ,
होए चोर क्यों तकता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
अणभे कथे अर्थ नहीं उकले ,
विरथा थू क्यों बकता।
वाद विवाद मिटा नहीं तो ,
केसा ज्ञान तू करता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
झोली डंडा रखे सुमरणा ,
जाय माला में जपता।
कपट सरूपी माला फेरे ,
विरथा दुनिया क्यों ठगता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
साँची कहु सही कर मानो ,
का कोई रीस नहीं करणा।
कहे हेमनाथ सुनो भाई साधो ,
आप में डूबे मरणा।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
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chetawani bhajan lyrics in hindi
~ Ami Ras Kyu Nahi Chakhta ~
sadhu hua pakhand nhi chuta,
jholi ne danda rakhta.
darpan me dekhe safo bandhe,
kya didar ne nirkhta.
re santo ! ami ras kyu nhi chakhta.
je tu amiras pive ni jove,
hoa chor kyu takta.
re santo ! ami ras kyu nhi chakhta.
anbhe kathe arth nhi ukle,
virtha thu kyu bakta.
vad vivad mita nhi to,
kesa gyan tu karta.
re santo ! ami ras kyu nhi chakhta.
jholi danda rakhe sumrana,
jay mala me japta.
kapat sarupi mala fere,
virtha duniya kyu thagta.
re santo ! ami ras kyu nhi chakhta.
sanchi kahu sahi kar mano,
ka koi ris nhi karna.
kahe hemnath suno bhai sadho,
aap me dube marna.
re santo ! ami ras kyu nhi chakhta.
चेतावनी भजन सुपरहिट लिरिक्स
~ रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता ~
साधु हुआ पाखण्ड नहीं छूटा ,झोली ने डंडा रखता।
दर्पण में देखे साफों बांधे ,क्या दीदार ने निरखता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
जे तू अमिरस पीवे नी जोणे ,होए चोर क्यों तकता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
अणभे कथे अर्थ नहीं उकले ,विरथा थू क्यों बकता।
वाद विवाद मिटा नहीं तो ,केसा ज्ञान तू करता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
झोली डंडा रखे सुमरणा ,जाय माला में जपता।
कपट सरूपी माला फेरे ,विरथा दुनिया क्यों ठगता।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
साँची कहु सही कर मानो ,का कोई रीस नहीं करणा।
कहे हेमनाथ सुनो भाई साधो ,आप में डूबे मरणा।
रे संतो ! अमी रस क्यों नहीं चखता। टेर। …
भजन :- अमी रस क्यों नहीं चखता |
लेबल :- राजस्थानी भजन |
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