आराम के साथी क्या क्या थे भजन लिरिक्स
आराम के साथी क्या क्या थे भजन लिरिक्स, aaram ke kya kya sathi the bhajan lyrics, desi chetawani bhajan lyrics
।। दोहा ।।
सतगुरु ऐसा कीजिये, लोभ मोह भ्रम नाही।
दरिया सुना ही रहे, दिसे दरिया माहि।
~ आराम के क्या क्या साथी थे ~
आराम के क्या क्या साथी थे ,
जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं।
सब लोग है अपने मतलब के ,
दुनिया में किसी का कोई नहीं।
जब पैसा हमारे पास में था ,
तब दोस्त हमारे लाखो थे।
जब वक्त पड़ा वो मुश्किल का ,
तब पूछने वाला कोई नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,
जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
माँ बाप तिरिया और पुत्रवधु ,
मतलब के है सब ही नाते।
जब हसने वाले लाखो थे ,
अब रोने वाला कोई नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,
जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
कल बाग़ जो था फूलो से भरा ,
इठलाती हुई चलती थी हवा।
उस सम्बल गुल का जिकरा क्या ,
है खाक दरेबा कुछ भी नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,
जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
ए बिंदु क्यों नाहक रोता है ,
तू होगा फ़ना इस बाग़ में कल।
रोना तेरा बेकार है सब ,
मिटटी में भरोसा कोई नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,
जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
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desi chetawani bhajan lyrics in hindi
~ aaram ke kya kya sathi the ~
aaram ke kya kya sathi the,
jab vak pada tab koi nhi.
sab log hai apne matlab ke,
duniya me kisi ka koi nhi.
jab paisa hamare pas me tha,
tab dost hamare lakho the.
jab vakt pada wo mushkil ka,
tab puchne wala koi nhi.
aaram ke kya kya sathi the,
jab vak pada tab koi nhi.
maa bap tiriya or putrvadhu,
matlab ke hai sab hi nate.
jab hasne wale lakho the,
ab rone wala koi nhi.
aaram ke kya kya sathi the,
jab vak pada tab koi nhi.
kal bag jo tha fulo se bhara,
ethlati hui chalti thi hava.
us sambal gul ka jikra kya,
hai khak dareba kuch bhi nhi.
aaram ke kya kya sathi the,
jab vak pada tab koi nhi.
a bindu kyu nahak rota hai,
tu hoga fana es bag me kal.
rona tera bekar hai sab,
mitti me bharosa koi nhi.
aaram ke kya kya sathi the,
jab vak pada tab koi nhi.
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~ आराम के साथी क्या क्या थे ~
आराम के क्या क्या साथी थे ,जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं।
सब लोग है अपने मतलब के ,दुनिया में किसी का कोई नहीं।
जब पैसा हमारे पास में था ,तब दोस्त हमारे लाखो थे।
जब वक्त पड़ा वो मुश्किल का ,तब पूछने वाला कोई नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
माँ बाप तिरिया और पुत्रवधु ,मतलब के है सब ही नाते।
जब हसने वाले लाखो थे ,अब रोने वाला कोई नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
कल बाग़ जो था फूलो से भरा ,इठलाती हुई चलती थी हवा।
उस सम्बल गुल का जिकरा क्या ,है खाक दरेबा कुछ भी नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
ए बिंदु क्यों नाहक रोता है ,तू होगा फ़ना इस बाग़ में कल।
रोना तेरा बेकार है सब ,मिटटी में भरोसा कोई नहीं।
आराम के क्या क्या साथी थे ,जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं। टेर। ….
kishor paliwal ke bhajan
भजन :- आराम के क्या क्या साथी थे |
गायक :- किशोर पालीवाल |
लेबल :- राजस्थानी भजन |
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