चार पंडित काशी से आया भजन लिरिक्स | char pandit kashi se aaya bhajan lyrics

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चार पंडित काशी से आया भजन लिरिक्स

चार पंडित काशी से आया भजन लिरिक्स, char pandit kashi se aaya bhajan lyrics, kabir das ji ke bhajan lyrics in hindi

।। दोहा ।।
चलती चक्की देखकर , दिया कबीरा रोय ।
दो पाटन के बीच में , साबुत बचा न कोय ।


~ चार पंडित काशी से आया ~

चार पंडित काशी से आया,
चारों वेद पढ़ आया जी।
आय कबीर घर पानी पिया,
पी पानी पछताया जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्मज्ञानी,
छान पियो जल पानी जी।


जल की तो मच्छीया जल में ब्याई,
जल मे ही मर जाती जी।
जल की शोद बोद नही मिटसी,
वो पानी क्या पीता जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,
छान पियो जल पानी जी।।


चोको लगाय भोजन करीया,
खूब करी चतुराई जी।
बूंदा मक्खी भान पर बैठी,
डूब गई चतुराई जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,
छान पियो जल पानी जी।।


उजला उजला कपड़ा पेरे,
चले सूत रा धागा जी।
ए धागा मारे पिताजी ने बनीया,
सब जग फिरता नंगा जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,
छान पियो जल पानी जी।।


देश में फिरता परदेश मे फिरता,
कोई गुरूजी न मिलीया जी।
केवे कमाल कबीर सा री चेली,
पंडो ने भेद बताया जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,
छान पियो जल पानी जी।।


चार पँडित काशी से आया,
चारों वेद पढ़ आया जी।
आय कबीर घर पानी पिया,
पी पानी पछताया जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,
छान पियो जल पानी जी।


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kabir das ji ke bhajan lyrics in hindi

~ char pandit kashi se aaya ~

char pandit kashi se aaya,
charo ved padh aaya ji.
aay kabir ghar pani piya,
pi pani pachtaya ji.
jal ka bhed batvo brahmagyani,
chan piyo jal pani ji.


jal kee to machiya jal me byai,
jal me hi mar jati ji.
jal ki sod bod nhi mitsi ,
wo pani kya peeta ji.
jal ka bhed batvo brahmagyani,
chan piyo jal pani ji.


choko lagay bhojan kariya,
khub kari chaturai ji.
bunda makkhi bhan par baithi,
dub gai chaturai ji.
jal ka bhed batvo brahmagyani,
chan piyo jal pani ji.


ujla ujla kapda pere,
chale sut ra dhaga ji.
a dhaga mare pitaji ne baniya,
sab jag firta naaga ji.
jal ka bhed batvo brahmagyani,
chan piyo jal pani ji.


des me firta pardesh me firta,
koi guruji n miliya ji.
keve kamal kabir sa ri cheli,
pando ne bhed bataya ji.
jal ka bhed batvo brahmagyani,
chan piyo jal pani ji.


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कबीर दास के भजन लिखित में

~ चार पंडित काशी से आया ~

चार पंडित काशी से आया,चारों वेद पढ़ आया जी।
आय कबीर घर पानी पिया,पी पानी पछताया जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्मज्ञानी,छान पियो जल पानी जी।

जल की तो मच्छीया जल में ब्याई,जल मे ही मर जाती जी।
जल की शोद बोद नही मिटसी,वो पानी क्या पीता जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,छान पियो जल पानी जी।।

चोको लगाय भोजन करीया,खूब करी चतुराई जी।
बूंदा मक्खी भान पर बैठी,डूब गई चतुराई जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,छान पियो जल पानी जी।।

उजला उजला कपड़ा पेरे,चले सूत रा धागा जी।
ए धागा मारे पिताजी ने बनीया,सब जग फिरता नंगा जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,छान पियो जल पानी जी।।

देश में फिरता परदेश मे फिरता,कोई गुरूजी न मिलीया जी।
केवे कमाल कबीर सा री चेली,पंडो ने भेद बताया जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,छान पियो जल पानी जी।।

चार पँडित काशी से आया,चारों वेद पढ़ आया जी।
आय कबीर घर पानी पिया,पी पानी पछताया जी।
जल का भेद बतावो ब्रह्म ज्ञानी,छान पियो जल पानी जी।

bheru puri sopura wale ke bhajan

भजन :- चार पंडित काशी से आया
गायक :- भेरुपुरी सोपुरा
लेबल :- राजस्थानी भजन

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