संत सदा सुख धारा साधु रे भाई भजन लिरिक्स
संत सदा सुख धारा साधु रे भाई भजन, sant sada sukh dhara guru ji bhajan lyrics in hindi
।। दोहा ।।
सत्संगत घर घर नहीं ,नहीं घर घर गणराज।
सिंहन का टोला नहीं ,नहीं चन्दन बाग़।
~ संत सदा सुख धारा ~
संत सदा सुख धारा साधु भाई ,
संत सदा सुख धारा हो जी।
उलटी धारा जो नर चाले ,
उलट मरे वे गिवारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
मोटा खांडा ने मोटा ना कहिये ,
नीच खांडा री धारा हो जी।
मन अभिमानी रो शीश काटियो ,
गुरु मुख ज्ञान री धारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
रण मैदान में शुर नर खेले ,
हाथ लिया तलवारा हो जी।
दाव गुरूजी रो जो नर सीखे ,
माथा लावे नरा रा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
सतगुरु शरणे जो नर जावे ,
कदे न लेवे अवतारा हो जी।
पांच पचीस ने वे नर जीते ,
नाम सु दिखे न्यारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
सतगुरु म्हाने पूरा मिलिया ,
खोल्या भरम रा भारा हो जी।
भीमपुरी भाण भीतर उग्यो ,
आठो पहर उजियारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
संत सदा सुख धारा साधु भाई ,
संत सदा सुख धारा हो जी।
उलटी धारा जो नर चाले ,
उलट मरे वे गिवारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
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guru ji bhajan lyrics in hindi
~ sant sada sukh dhara ~
sant sada sukh dhara sadhu bhai,
sant sada sukh dhara ho ji.
ulti dhara jo nar chale,
ulta mare we giwara .
sadhu bhai, sant sadha sukh dhara .
mota khanda ne mota na kahiye,
nich khanda ri dhara ho ji.
man abhimani ro shish katiyo,
guru mukh gyan ri dhara.
sadhu bhai, sant sadha sukh dhara .
ran maidan me shur nar khele,
hath liya talwara ho ji.
dav guruji ro jo nar sikhe,
matah lave nara ra.
sadhu bhai, sant sadha sukh dhara .
satguru sharane jo nar jave,
kade ne leve avtara ho ji.
panch pachis ne ve nar jite,
naam su dikhe nyara.
sadhu bhai, sant sadha sukh dhara .
satguru mhane pura miliya,
kholya bharam ra bhara ho ji.
bhimpuri bhan bhitar ugyo,
aatho pahar ujiyara.
sadhu bhai, sant sadha sukh dhara .
sant sada sukh dhara sadhu bhai,
sant sada sukh dhara ho ji.
ulti dhara jo nar chale,
ulta mare we giwara .
sadhu bhai, sant sadha sukh dhara .
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सतगुरु जी के भजन हिंदी में
~ संत सदा सुख धारा साधु रे भाई ~
संत सदा सुख धारा साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
उलटी धारा जो नर चाले ,उलट मरे वे गिवारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
मोटा खांडा ने मोटा ना कहिये ,नीच खांडा री धारा हो जी।
मन अभिमानी रो शीश काटियो ,गुरु मुख ज्ञान री धारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
रण मैदान में शुर नर खेले ,हाथ लिया तलवारा हो जी।
दाव गुरूजी रो जो नर सीखे ,माथा लावे नरा रा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
सतगुरु शरणे जो नर जावे ,कदे न लेवे अवतारा हो जी।
पांच पचीस ने वे नर जीते ,नाम सु दिखे न्यारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
सतगुरु म्हाने पूरा मिलिया ,खोल्या भरम रा भारा हो जी।
भीमपुरी भाण भीतर उग्यो ,आठो पहर उजियारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
संत सदा सुख धारा साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
उलटी धारा जो नर चाले ,उलट मरे वे गिवारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
prakash mali ke bhajan
भजन :- संत सदा सुख धारा |
गायक :- प्रकाश माली |
लेबल :- राजस्थानी भजन |
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