संतो गणपत निर्भय रहता भजन लिरिक्स
संतो गणपत निर्भय रहता भजन, santo ganpat nirbhay rahta ganpati vandana lyrics in hindi
।। दोहा ।।
शिव शंकर रा लाडला , गणपति गणराज।
विघ्नहरण सुखकरण , सकल सुधारो काज।
~ गणपत निर्भय रहता ~
गले फूलमाल गवरजा रा प्यारा ,
सामी सुंडाला थाने कहता रे ।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
पेली निवण करू गणपत ने ,
सब कोई हाजिर रहता।
धरियो ध्यान तैतीसो रे आगे ,
सब कोई पूरण देता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
मूल कमल में आप विराजो ,
अखंड उजाला रहता।
भरिया भंडार कमी नहीं आवे ,
तुम हो रिद्धि सिद्धि दाता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
विद्या री देवी सारदा ने सिवरू ,
हरख उमावा रहता।
रिद्धि सिद्धि रानी थारे संग विराजे ,
समर्थ सिंहासन रहता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
आप खोजो हो बुद्धि प्रकाशो ,
समर्थ वेद लिख लेता।
शील संतोष सतगुरुजी री महिमा ,
सुन में तो सुमिरण होता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
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ganpati vandana lyrics in hindi
~ santo ganpat nirbhay rahta ~
gale fulmal gavraja ra pyara,
sami sundala thane kahta re.
santo ganpat nirbhay rahta .
peli nivan karu ganpat ne,
sab koi hajir rahta.
dhariyo dhyan taitiso re aage,
sab koi puran deta re.
santo ! ganpati nirbhay rahta.
mul kamal me aap virajo,
akhand ujala rahta.
bhariya bhandar kami nhi aave,
tum ho ridhdhi sidhdhi data re.
santo ! ganpati nirbhay rahta.
vidhya ri devi sarda ne sivru,
harakh umava rahta.
ridhdhi sidhdhi rani thare sang viraje,
samarth sinhasan rahta re.
santo ! ganpati nirbhay rahta.
aap khojo ho budhi prakasho,
samarth ved likh leta.
shil santosh satguruji ri mahima,
sun me to sumiran hota re.
santo ! ganpati nirbhay rahta.
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गणेश जी वंदना लिरिक्स
~ संतो गणपत निर्भय रहता ~
गले फूलमाल गवरजा रा प्यारा ,सामी सुंडाला थाने कहता रे ।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
पेली निवण करू गणपत ने ,सब कोई हाजिर रहता।
धरियो ध्यान तैतीसो रे आगे ,सब कोई पूरण देता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
मूल कमल में आप विराजो ,अखंड उजाला रहता।
भरिया भंडार कमी नहीं आवे ,तुम हो रिद्धि सिद्धि दाता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
विद्या री देवी सारदा ने सिवरू ,हरख उमावा रहता।
रिद्धि सिद्धि रानी थारे संग विराजे ,समर्थ सिंहासन रहता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
आप खोजो हो बुद्धि प्रकाशो ,समर्थ वेद लिख लेता।
शील संतोष सतगुरुजी री महिमा ,सुन में तो सुमिरण होता रे।
संतो ! गणपत निर्भय रहता।
mahendra singh devda bhajan
भजन :- गणपत निर्भय रहता |
गायक :- महेंद्र सिंह देवड़ा |
लेबल :- राजस्थानी भजन |
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